chandi rath

"चारु चंद्र की चंचल किरणें खेल रही हैं जल-थल में । स्वच्छ चाँदनी बिछी हुई है। अवनि और अंबर तल में ।।

पुलक प्रगट करती है धरती हरित तृणों की नोकों से । मानो झूम रहे हैं तरु भी मंद पवन के झोंकों से |

क्या ही स्वच्छ चाँदनी है यह है क्या ही निस्तब्ध निशा । है स्वच्छंद-सुमंद गंध वह निरानंद है कौन दिशा ?

बंद नहीं, अब भी चलते हैं नियति नटी के कार्य-कलाप । पर कितने एकांत भाव से कितने शांत और चुपचाप ।।

है बिखेर देती वसुंधरा मोती, सबके सोने पर। रवि बटोर लेता है उनको सदा सबेरा होने पर ।।

और विरामदायिनी अपनी संध्या को दे जाता है। शून्य श्याम तनु जिससे उसका नया रूप छलकाता है ।।

पंचवटी की छाया में है सुंदर पर्ण कुटीर बना । उसके सम्मुख स्वच्छ शिला पर धीर-वीर निर्भीक मना ।।

जाग रहा यह कौन धनुर्धर जबकि भुवन भर सोता है ? भोगी कुसुमायुध योगी-सा बना दृष्टिगत होता है ।।
"
चारु चंद्र की पवन के झोंकों से।

अर्थः कवि ने इस पद्य में प्रकृति की सुंदरता का सुंदर वर्णन किया है। रात के समय चाँद की चंचल किरणें जल-थल में खेलती हुई। प्रतीत हो रही हैं। पृथ्वी और आकाश में चारों ओर चाँदनी फैली हुई है। ऐसा प्रतीत होता है कि हरी - हरी घास के नोकों से धरती अपनी खुशियों का इजहार कर रही है और मंद-मंद चल रही हवाओं के झोंकों में सारे वृक्ष झूम रहे हैं।

क्या ही स्वच्छ..... शांत और चुपचाप ।

अर्थ: चारों ओर स्वच्छ चाँदनी बिखरी हुई है। ऐसा लग रहा है कि जैसे यह रात थम सी गई है। एक मनमोहक सुगंध वातावरण में फैली हुई है। हर तरफ आनंद ही आनंद है। इस स्तब्ध कर देने वाली सुंदरता का प्रभाव सभी की सूत्रधार नियति अर्थात प्रकृति पर नहीं पड़ रहा है। उसके क्रिया-कलाप एकांत भाव से चुपचाप जारी हैं।

है बिखेर देती ....... रूप छलकाता है।

अर्थः रात्रि के समय धरती मोती के समान दिखाई देने वाली ओश की बूंदें चारों ओर बिखेर देती है, लेकिन सुबह होते ही जब रवि अर्थात सूर्य आता है तो वह उन ओश की बूंदों को बँटोर लेता है। अपने सफर के विराम के साथ ही सूर्य भी संध्या का उपहार धरती को दे जाता है। रात्रि और दोपहर के मध्य का यह समय प्रकृति को एक नया रूप देता है ।

पंचवटी की छाया.... दृष्टिगत होता है।

अर्थ: पंचवटी की छाया में एक सुंदर पर्णकुटी का निर्माण कर उसके सामने पत्थर की एक स्वच्छ शिला पर कोई विनम्र और निडर वीर बैठा हुआ है। जब हर कोई सो रहा है तो आखिर यह कौन धनुर्धर है, जो जाग रहा है? कामदेव की तरह सुंदर दिखाई देने वाला यह वीर योद्धा योगी जान पड़ता है।

पंचवटी की छाया.... दृष्टिगत होता है।

अर्थ: पंचवटी की छाया में एक सुंदर पर्णकुटी का निर्माण कर उसके सामने पत्थर की एक स्वच्छ शिला पर कोई विनम्र और निडर वीर बैठा हुआ है। जब हर कोई सो रहा है तो आखिर यह कौन धनुर्धर है, जो जाग रहा है? कामदेव की तरह सुंदर दिखाई देने वाला यह वीर योद्धा योगी जान पड़ता है।

Kabhita ka arth

इस चाँदनी रात का वर्णन करते हुए कवि कहते हैं की, उस समय निले- निले आकाश में सफेद चंद्र शोभा देता है। उस चंद्र की चंचल किरणें झिलमिल झिलमिल कर रही हैं। वह मानो ऐसा लग रहा है जैसे वे जल और जमीन के साथ ही खेल रही है। उसी चांद का सफेद प्रकाश धरती तथा अंबर में सभी तरफ छा गया है।
इस समय पृथ्वी भी प्रसन्नता से खिल गई है। पृथ्वी अपनी यह प्रसन्नता उसपर उगे हुए हरित तृणों के नोकों से प्रकट कर रही है। उसी समय धिरे धिरे से मंद हवा भी बह रही है। वह हवा के बहने से छोटे-छोटे पौधे भी झूम रहे है। इस तरह हवा के झोकों से वह अपनी खुशी दर्शाना चाहते है।
कवि कहते है कि प्रकृती का कार्य कहीं भी खंडित नहीं हुआ है। वे सदा के जैसे आज भी मुक्त रूप से हो रहा है। बस उसमें फर्क सिर्फ इतना ही है की वह शांत और चुपचाप ढंग से हो रहा है।
सभी लोगों के सो जाने पर पृथ्वी आकाश में चाँदसमेत सभी तारों को बिखरा देती है। वे मानो ऐसा प्रतित होता है जैसे आकाश में मोती बिखरे हुए है और सूरज उन सभी मोतीयों को हमेशा की तरह सवेरा होने पर ले जाता है।
कवि कहते है कि सवेरा होते ही चाँद तारों के रूप में समेटे हुए मोती सुरज विश्राम देने वाली संध्या को दे जाता है। इसके बाद रात होने पर जब वह चाँद तारे फिर से आकाश में चमकने लगते हैं और मोतीयों जैसे प्रतित होते हैं इससे उस रात की खोई हुई रौनक फिर से लौट आती है और वह अपने नए रूप से छलकने लगती है।
उसके बाद कवि कहते है कि पंचवटी की छाया में घास-फूस से एक सुंदर झोंपड़ी बनी हुई है। उसके सिधे आगे एक सफेद सा पत्थर है, उस पत्थर पर एक निडर योद्धा विराजमान हुआ है।
अंत में कवि ने कहा कि इस आनंदभरी रात में सभी प्राणि सोने का मजा लेते है। मगर इस समय यह धनुषधारी कौन है ? यह तो कामदेव भोगी सा कोई संन्यासी जैसा दिखाई दे रहा है।
Pavan Prajapati

My name is Pawan Prajapati. I am small explorer, every week i upload post on tip and trick on my real life experience and what i learned in past days

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